🚩 जय श्री राम🚩
🚩🚩जय हनुमान 🚩🚩
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यह तिरूपति बालाजी का मंदिर है। भारत के बहुत से भागो में श्री हनुमान को बालाजी के नाम से जाना जाता है क्योकि उनका ज्यादातर बचपन वही बीता था। दूसरी धार्मिक जगहों की तरह यह मंदिर भी ग्रामीण इलाके की बजाए शहर के बीच में बना हुआ है। यह मंदिर अपने धार्मिक उपचारों और बुरी आत्माओ का भुत भगाने के लिए जाना जाता है। दूसरी धार्मिक जगहों की तरह यह मंदिर भी ग्रामीण इलाके की बजाए शहर के बीच में बना हुआ है। यह मंदिर अपने धार्मिक उपचारों और बुरी आत्माओ का भुत भगाने के लिए जाना जाता है। यहां बालाजी के सीने के बाईं ओर एक छोटा-सा छिद्र है। इसमें से जल बहता है। मंदिर में 3 देवता विराजमान हैं - बालाजी, प्रेतराज और भैरव। यह जानकर आपको और आश्चर्य होगा कि मेंहदीपुर के बालाजी मंदिर में भूत, प्रेत या बुरी आत्मा को किसी व्यक्ति का शरीर छोड़ने के लिए दी जाने वाली यह थर्ड डिग्री किसी तरह का शारीरिक उत्पीड़न न होकर हनुमान जी के नाम का जयकारा होती है. हर तरह का उपाय कराने के बाद भी जब लोग हार जाते हैं तो वह राजस्थान के मेंहदीपुर में स्थित बालाजी की शरण में आते हैं और कहा जाता है कि जिसने भी यहां आकर अपनी अर्जी लगाई वह कभी खाली हाथ नहीं लौटा । मंदिर में बड़ी संख्या में ऊपरी बाधा से ग्रसित लोग अजीबोगरीब हरकत करते नजर आते हैं, जिसे यहां पेशी आना कहते हैं । यह पूरा दृश्य इतना हतप्रभ करने वाला होता है कि मानो किसी मुजरिम को थर्ड डिग्री दी जा रही हो और वह रहम की भीख मांग रहा हो. कई लोग पेशी आने पर बेहोश तक हो जाते हैं । मेंहदीपुर बालाजी धाम इसलिए भी अनोखा है, क्योंकि यहां अन्य मंदिरों की तरह न तो प्रसाद चढ़ाया जाता है और न ही श्रद्धालु किसी तरह का प्रसाद अपने घर ले जा सकते हैं । हाजिरी या दरख्वास्त लगाने के नाम पर पांच रुपये में मिलने वाले छोटे-छोटे लड्डू जरूर चढ़ाए जाते हैं, हालांकि कोई भी श्रद्धालु उन्हें खुद अपने हाथ से किसी मूर्ति पर नहीं चढ़ा सकता । मंदिर से जुड़ा एक विशेष नियम यह भी है कि यहां से वापसी में अपने साथ खाने-पीने की कोई भी वस्तु घर नहीं ले जा सकते हैं । दरबार से जल या भभूति व कोई पढ़ा हुआ सामान ले जाने का ही नियम है ।
🚩🚩🚩🚩🚩🚩 श्री राम 🚩🚩🚩🚩🚩🚩
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