हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज

 

  • हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज बिना गर्भ के हुआ जन्म
  • हम सब को ये पता है कि हनुमान जी (Hanuman Ji ) ब्रह्मचारी थे, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि वो एक पुत्र के पिता बने थे हालांकि यह पुत्र वीर्य कि जगह पसीने की बूंद से हुआ था। जब हनुमान जी सीता की खोज में लंका पहुंचे थे। तब उनको मेघनाद ने पकड़ लिया और अपने साथ बंदी बना रावण के दरबार में प्रस्तुत किया। रावण ने दंड के रूप में हनुमान जी की पूंछ में आग लगवा दी। हनुमान ने जलती हुई पूंछ से लंका जला दी। जलती हुई पूंछ के कारण से हनुमान जी को तीव्र वेदना हो रही थी। जिसे शांत करने के लिए वे समुद्र के जल से अपनी पूंछ की अग्नि को शांत करने पहुंचे। उस समय उनके पसीने की एक बूंद पानी में टपकी जिसे एक मगरमच्छी ने पी लिया था। उसी पसीने की बूंद से वह मगरमच्छी गर्भवती हो गई और उससे उसे एक पुत्र उत्पन्न हुआ। जिसका नाम पड़ा मकरध्वज। 
  1. हनुमानजी के पुत्र (Hanuman Ji Son) मकरध्वज भी उनके समान ही महान पराक्रमी और तेजस्वी थे।  उन्हें अहिरावण द्वारा पाताल लोक का द्वार पाल नियुक्त किया गया था। जब अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण को देवी के समक्ष बलि चढ़ाने के लिए अपनी माया के बल पर पाताल ले आया था। 

    तब श्रीराम और लक्ष्मण जी को मुक्त कराने के लिए हनुमान पाताल लोक पहुंचे और वहां उनकी भेंट मकरध्वज से हुई। तत्पश्चात मकरध्वज जी ने अपनी उत्पत्ति की कथा हनुमान को सुनाईं। हनुमानजी (Shri Ram Bhagat) ने अहिरावण का वध कर प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया और मकरध्वज को पाताल लोक का अाधिपति नियुक्त करते हुए उन्हें धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

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