• यह मंदिर कुमारी देवी कन्याकुमारी को समर्पित है। कहा जाता है कि एक बार देवी पार्वती ने देवी कन्या के रूप में अवतार ले कर इस स्थान पर भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। यह जगह एकता और पवित्रता का मंदिर कुमारी देवी कन्याकुमारी को समर्पित है। कहा जाता है कि एक बार देवी पार्वती ने देवी कन्या के रूप में अवतार ले कर इस स्थान पर भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। यह जगह एकता और पवित्रता का प्रतीक है। यह देश में एकमात्र ऐसी जगह है जहां मंदिर में प्रवेश करने के लिए पुरूषों को कमर से ऊपर के वस्त्र उतारने पड़ते है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर देवी का विवाह संपन्न न हाे पाने के कारण बचे हुए दाल-चावल बाद में कंकड़-पत्थर बन गए। कहा जाता है इसलिए ही कन्याकुमारी के बीच या रेत में दाल और चावल के रंग-रूप वाले कंकड़ बहुत मिलते हैं। आश्चर्य भरा सवाल तो यह भी है कि ये कंकड़-पत्थर दाल या चावल के आकार जितने ही देखे जा सकते हैं। प्रतीक है। यह देश में एकमात्र ऐसी जगह है जहां मंदिर में प्रवेश करने के लिए पुरूषों को कमर से ऊपर के वस्त्र उतारने पड़ते है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर देवी का विवाह संपन्न न हाे पाने के कारण बचे हुए दाल-चावल बाद में कंकड़-पत्थर बन गए। कहा जाता है इसलिए ही कन्याकुमारी के बीच या रेत में दाल और चावल के रंग-रूप वाले कंकड़ बहुत मिलते हैं। आश्चर्य भरा सवाल तो यह भी है कि ये कंकड़-पत्थर दाल या चावल के आकार जितने ही देखे जा सकते हैं।
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Jai mata di
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