कैलाश मंदिर


 कैलाश मंदिर पूरी दुनिया में अपनी ख़ूबसूरती के लिए जाना जाता है। कैलाश मंदिर को बनाने में 150-200 साल लगे थे । और यह एलोरा की 34 गुफाओं में सबसे अनोखा है । विशाल कैलाश मंदिर देखने में जितना खूबसूरत है उससे भी ज्यादा खूबसूरत है इस मंदिर में किया गया काम। कैलाश मंदिर की खास बात यह है कि इसे इस विशालकाय मंदिर को तैयार करने में करीब 150 साल लगे और करीब 7000 मजदूरों ने लगातार इस पर मेहनत की थी। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में प्रसिद्ध एलोरा की गुफाओं में स्थित है। यह एलोरा के 16वीं गुफा की शोभा बढ़ा रहा है। इस मंदिर का काम कृष्णा प्रथम के शासनकाल में पूरा हुआ। कैलाश मंदिर में विशाल शिवलिंग देखा जा सकता है। कैलाश मंदिर को हिमालय के कैलाश का रूप देने का भरपूर प्रयास किया गया है।शिव का यह दो मंजिला मंदिर पर्वत चट्टानों को काटकर बनाया है। यह मंदिर दुनिया भर में एक ही पत्थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर की उंचाई 90 फीट है, 276 फीट लंबा और 154 फीट चौड़ा है यह मंदिर। इस मंदिर के निर्माण में 150 साल और दस पीढ़ियां का योगदान लगा । आजतक इस मंदिर में कभी पूजा किए जाने का प्रमाण नहीं मिलता। 


आज भी इस मंदिर में कोई पुजारी नहीं है। कोई नियमित पूजा पाठ का कोई सिलसिला नहीं चलता। इस मंदिर के निर्माण में करीब 40 हज़ार टन भारी पत्थरों को काटकर 90 फुट ऊंचा मंदिर बनाया गया। इस मंदिर के आंगन के तीनों ओर कोठरियां हैं और सामने खुले मंडप में नंदी विराजमान है और उसके दोनों ओर विशालकाय हाथी और स्तंभ बने हैं। एलोरा की गुफा-16 यानि कैलाश मंदिर सबसे बड़ी गुफा है, जिसमें सबसे ज्यादा खुदाई कार्य किया गया है। यहां के कैलाश मंदिर में विशाल और भव्‍य नक्काशी है। कैलाश मंदिर ‘विरुपाक्ष मंदिर’ से प्रेरित होकर राष्ट्रकूट वंश के शासन के दौरान बनाया गया था। मन्दिर में दर्शन सूर्य उदय से सूर्य अस्त तक किए जा सकते हैं।


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